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मरने के बाद हर इंसान बनता है प्रेत आत्मा, जानिए इससे बचने के उपाय

Jul 19 2019

Posted By:  Sunny

संसार में प्रत्येक इंसान अपने जीवन में धार्मिक कार्य करता है ताकि मरणोपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति हो और वह स्वर्ग में जा सके लेकिन कई पुण्य कार्य करने के बाद भी सभी मनुष्य एक बार प्रेत योनि में अवश्य जाते है क्योंकि कई कार्य ऐसे भी होते है,  जिनके न करने से मनुष्य को प्रेत योनि में जाना पड़ता है | वेदो और कई पुराणों जैसे विष्णु पुराण, गरुड़ पुराण, मार्कण्डेय पुराण इत्यादि में इन सभी बातो को वर्णन देखने को मिलता है, मनुष्य के मरने के पश्चात 13  दिनों तक उसके परिवारजनो द्वारा अंतिम संस्कार किया जाता है ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके लेकिन उसके अंतिम संस्कार के पश्चात मनुष्य की आत्मा एक सूक्ष्म रूप धारण करती है और यही रूप मनुष्य के मानव जीवन में किये गए कर्मो का फल प्राप्त करता है, वेदो में कुछ ऐसे कार्यो का वर्णन किया गया है जिनको करने के पश्चात् मनुष्य प्रेत योनि प्राप्त करने से बच सकता है |

गंगाजल




गंगाजल की पवित्रता इसके नाम से ही झलकती है गंगाजल को बहुत ही पवित्र माना जाता है, मंदिरो में भगवान का अभिषेक भी गंगाजल सही किया जाता है और घरो में भी नकारात्मकता से मुक्ति पाने के लिए प्रायः गंगाजल का छिड़काव किया जाता है |
पुराणों में कहा गया है की यदि मनुष्य प्रत्येक दिन गंगाजल से ही स्नान करे और सिर्फ गंगाजल ही पिए तो वह कभी प्रेत योनि को प्राप्त नहीं करता है |

गीता पाठ


महाभारत के समय स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया था वह ज्ञान गीता ज्ञान कहलाया यदि कोई इंसान अपने जीवन में गीता के ज्ञान को उतार ले और प्रत्येक दिन गीता का पाठ करे तो उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल सकती है, इसके लिए मनुष्य को रोज दिन में एक बार गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए |

गायत्री मंत्र 




गायत्री मंत्र भी अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, इसीलिए भगवान की पूजा करते समय उनका जलाभिषेक करते समय गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है ऐसा करना भी प्रेत योनि से बचाता है लेकिन ध्यान रहे सूर्यास्त के पश्चात कभी भी गायत्री मंत्र का जाप नहीं किया जाना चाहिए |

गयाश्राद्ध 


पुराणों के अनुसार कई तीर्थस्थल ऐसे है जिनकी यात्रा कर लेने से कई पापो से मुक्ति मिल जाती है, बिहार का बोधगया उनमे से एक है, कथाओ के अनुसार बोधगया राक्षस गयासुर की पीठ पर बना है पुराणों में वर्णन के अनुसार इस स्थान को भगवान श्री हरी विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है जिसके अनुसार जो भी इंसान इस स्थान पर अपने पूर्वजो का पिंडदान करता है, इससे उसके पूर्वजो को मुक्ति मिलती है इसके साथ ही उसे भी पापो से मुक्ति मिलती है और उसे प्रेत योनि में जाना नहीं पड़ता है,इसलिए इस स्थान पर अवश्य जाना चाहिए और पिंडदान करना चाहिए |

गौ सेवा 


हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है इसके साथ ही गाय के शरीर में स्वयं देवता निवास करते है इसलिए गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए और प्रतिदिन गाय को चारा अवश्य खिलाना चाहिए इससे पुण्य की प्राप्ति होती है |
 
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